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गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई

गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई

रोहतक। भले ही आज गोवंश की दुर्दशा हो रही है, गोवंश दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। लेकिन गोवंश कितना उपयोगी होता है, यह हर कोई नहीं जानता। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि गाय के गोबर से सीमेंट, ईंट और पेंट बनाकर एक किसान लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। हरियाणा के रोहतक जिले के मदीना गांव के रहने वाले किसान शिवदर्शन मलिक पिछले 6 सालों से गोबर से इको फ्रेंडली सीमेंट, पेंट और ईंटें बनाकर बेच रहे हैं। और सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

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  किसान परिवार में जन्मे शिवदर्शन ने गांव के स्कूल से ही प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की है। वह अमेरिका और इंग्लैंड में इको फ्रेंडली घर बनाने के तरीका सीख चुके हैं। इसके बाद नौकरी छोड़कर शिवदर्शन ने यह तय किया कि अब गांव के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। गांव वालों को रोजगार दिलाना है। शिवदर्शन अपने प्रोडक्ट बेचकर हर साल 50 से 55 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।

साल 2015-16 में शुरू किया था काम

- किसान शिवदर्शन साल 2015-16 में यह काम प्रोफेशनल लेबल पर शुरू किया था। गोबर से सीमेंट तैयार करने के बाद शिवदर्शन ने सबसे पहले खुद इसका इस्तेमाल किया। और अपने गांव के लोगों को भी दिया। इसके बाद धीरे-धीरे इसका व्यापक स्तर पर व्यापार शुरू किया गया।

गोशाला की स्थिति में किया सुधार

- रोहतक के एक कॉलेज में बतौर प्रधानाध्यापक काम करने के कुछ महीने बाद ही डॉ. शिवदर्शन मलिक ने गोशाला शूरू की। साल 2018 में अपने प्रोडक्ट को बढाने के लिए गोशाला की स्थिति में भी बड़े स्तर पर सुधार किया। उनका यह उपयोग काफी सफल रहा।

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इन राज्यों में भेजी जा रहीं ईंट और सीमेंट

- इस साल शिवदर्शन ने 5 हजार टन सीमेंट की मार्केटिंग करने के अलावा पेंट और ईंट की भी अच्छी खासी बिक्री की है। शिवदर्शन ने हरियाणा के अलावा यह प्रोडक्ट बिहार, राजस्थान, झारखंड व महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में भेजा है। ----- लोकेन्द्र नरवार

इस तकनीक से किसान सिर्फ पानी द्वारा सब्जियां और फल उगा सकते हैं

इस तकनीक से किसान सिर्फ पानी द्वारा सब्जियां और फल उगा सकते हैं

किसान भाइयों आपको खेती करने के लिए भूमि की कोई आवश्यकता नहीं है। अब किसान भाई पानी पर ही फल और सब्जियां पैदा कर सकते हैं। जो कि पोषण तत्वों से भरपूर होंगी। विश्व भर में खेती को सुगम करने के लिए नवीन तकनीक विकसित की जा रही हैं। 

इन समस्त तकनीकों की सहायता से संसाधनों की बचत एवं मेहनत की खपत भी कम होती है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक भी इसी में शुमार है। जहां पारंपरिक खेती में कृषि यंत्रों, खेत, उर्वरक, खाद एवं सिंचाई की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ती है।

वहीं, इको फ्रेंडली-हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से बेहतरीन फसल कम पानी में पैदा की जा सकती है। हाइड्रोपोनिक्स खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इस वजह से इसको संरक्षित ढांचे में करना चाहिए। 

इसमें पानी के अतिरिक्त खनिज पदार्थ एवं पोषक तत्व बीजों एवं पौधों को मिलते हैं। बतादें, कि इनमें कैल्शियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन, फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम और अन्य बहुत सारे पोषक तत्व शामिल हैं, जिससे फसल की पैदावार 25–30 प्रतिशत बढ़ती है।

हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक से संसाधनों के साथ परिश्रम की खपत भी कम है

दुनिया भर में खेती को सुगम बनाने के लिए नवीन तकनीक तैयार की जा रही हैं। इससे संसाधनों की बचत एवं परिश्रम की खपत कम होती है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक भी इसके अंतर्गत शम्मिलित हैं। 

जहां पारंपरिक खेती में कृषि यंत्रों, खेत, उर्वरक, खाद और सिंचाई की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ती है। उधर इको फ्रेंडली-हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से बेहतरीन फसल कम पानी में पैदा की जा सकती है।

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हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक से उगाए सब्जियां

इस तकनीक में प्लास्टिक की पाइपों में बड़े छेद निर्मित किए जाते हैं। जहां पर छोटे-छोटे पौधे भी लगाए जाते हैं। पानी से 25-30 प्रतिशत ज्यादा विकास होता है। इन पौधों को बीज बोकर ट्रे में बड़ा किया जाता है। 

बतादें, कि ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका और सिंगापुर में हाइड्रोपॉनिक का इस्तेमाल हो रहा है। यह तकनीक भारतीय किसानों एवं युवा लोगों में भी काफी हद तक लोकप्रिय हो रही है। 

हाइड्रोपोनिक खेती में बड़े-बड़े खेत की जरूरत नहीं पड़ती है। किसान भाई कम भूमि के हिस्से पर भी खेती कर सकते हैं।

इस तकनीक से ये सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक सब्जियों की खेती के अंतर्गत सफल हो चुकी है। भारत में बहुत सारे किसान इस तकनीक का इस्तेमाल करके छोटे पत्ते वाली सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जैसे कि खीरा, मटर, मिर्च, करेला, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूज, अनानास, गाजर, शलजम, ककड़ी, मूली, अनानास, शिमला मिर्च, धनिया, टमाटर और पालक।

हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक के जरिए पोषण से भरपूर सब्जियां उगती हैं

हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक के माध्यम से उगने वाली सब्जियां पोषण से भरपूर होती हैं। इसलिए इनकी हमेशा मांग बनी रहती है। 100 वर्ग फुट के इलाके में इसे निर्मित करने की लागत 50,000 से 60,000 रुपये हो सकती है। 

साथ ही, 100 वर्ग फुट इलाके में 200 सब्जी पौधे लगाए जा सकते हैं। कमाई के संदर्भ में यह तकनीक ज्यादा रकबे में किसानों को मुनाफा दिला सकती है। हाइड्रोपॉनिक्स को ज्यादा धन कमाने के लिए कम क्षेत्रफल में अनाजी फसलों के साथ पौधे लगाए जा सकते हैं।